पुस्तक के विषय में
सांस्कृतिक दृष्टि से तमिलनाडु अत्यंत संपन्न प्रदेश है । इसके निवासियों की अकृत्रिम जीतन प्रणाली सदियों से अविच्छिन्न रूप से चली आ रही है । प्रस्तुत पुस्तक में इस प्रदेश के लोगों के आचार-विचार, लोक-व्यवहार, धार्मिक विश्वास, रीति-रिवाज, पर्व और उत्सव, लोक नृत्य और लोक संगीत, मिथक और पौराणिकी आदि की विशद रूप से व्याख्या की गई है और साथ ही लोक गीत और मौखिक साहित्य आदि का शास्त्रीय ढंग से विवेचन किया गया है ।
इसके लेखक हैं श्री एस. एम. एल. लक्ष्मणन चेट्टियार, जिन्होंने तमिल भाषा में यात्रा साहित्य की पर्याप्त श्रीवृद्धि की है ।
विषय-सूची |
||
1 |
प्रदेश और लोग |
1 |
2 |
मिथक और पौराणिकी |
28 |
3 |
धार्मिक विश्वास, मंत्रतंत्र और जादूटोना |
41 |
4 |
रीति-रिवाज और परंपराएं |
92 |
5 |
मेले और उत्सव |
116 |
6 |
मौखिक साहित्य |
147 |
7 |
लोकसंगीत और लोकनृत्य |
186 |
8 |
लोकनाट्य और लोकमनोरंजन |
220 |
परिशिष्ट |
234 |
|
संदर्भ-ग्रंथ सूची |
242 |
|
शब्द-सूची |
246 |
पुस्तक के विषय में
सांस्कृतिक दृष्टि से तमिलनाडु अत्यंत संपन्न प्रदेश है । इसके निवासियों की अकृत्रिम जीतन प्रणाली सदियों से अविच्छिन्न रूप से चली आ रही है । प्रस्तुत पुस्तक में इस प्रदेश के लोगों के आचार-विचार, लोक-व्यवहार, धार्मिक विश्वास, रीति-रिवाज, पर्व और उत्सव, लोक नृत्य और लोक संगीत, मिथक और पौराणिकी आदि की विशद रूप से व्याख्या की गई है और साथ ही लोक गीत और मौखिक साहित्य आदि का शास्त्रीय ढंग से विवेचन किया गया है ।
इसके लेखक हैं श्री एस. एम. एल. लक्ष्मणन चेट्टियार, जिन्होंने तमिल भाषा में यात्रा साहित्य की पर्याप्त श्रीवृद्धि की है ।
विषय-सूची |
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1 |
प्रदेश और लोग |
1 |
2 |
मिथक और पौराणिकी |
28 |
3 |
धार्मिक विश्वास, मंत्रतंत्र और जादूटोना |
41 |
4 |
रीति-रिवाज और परंपराएं |
92 |
5 |
मेले और उत्सव |
116 |
6 |
मौखिक साहित्य |
147 |
7 |
लोकसंगीत और लोकनृत्य |
186 |
8 |
लोकनाट्य और लोकमनोरंजन |
220 |
परिशिष्ट |
234 |
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संदर्भ-ग्रंथ सूची |
242 |
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शब्द-सूची |
246 |