हिन्दू ज्योतिष का सरल अध्ययन: A Simple Study of Hindu Astrology

$13
Best Seller
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZA233
Author: के.एन.राव (K.N.Rao)
Publisher: Vani Publications
Language: Hindi
Edition: 2020
ISBN: 8189221221
Pages: 168
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch x 5.5 inch
Weight 190 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business

Book Description

<html> <head> <meta http-equiv=Content-Type content="text/html; charset=windows-1252"> <meta name=Generator content="Microsoft Word 12 (filtered)"> <style> <!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} @page WordSection1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.0in 1.0in 1.0in;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} --> </style> </head> <body lang=EN-US>

पुस्तक से

 

"लर्न वैदिक एस्ट्रोलौजी विदाउट टियर्स" पुस्तक पढ़ने के पश्चात् कुछ उपयोगी सुझाव एवं समालोचनाएं प्राप्त हुई। उनमें से एक संदेह यह था कि मैंने विशोत्तरी दशा के 360 दिनों का सन्दर्भ दिया था, जबकि मैंने पुस्तक में सपष्टता 365 दिनों की विंशोत्तरीदशा का प्रयोग किया था।मैनें उन तालिकाओं को हटा देने एवं उनके स्थान पर अधिक अभ्यास एवं पहेलियाँ रखने का निर्णय लिया। इसके लिए,मैं उसी विधि का अनुसरण कर रहा हूँ जो मैंने अपने प्रिय खेल शतरंजएवं ब्रिज की पुस्तकों में दी हुई गुत्थियों को सुलझाने के लिए प्रयुक्त किया। मैंने ऐसी योजना का अनुसरण करने का निर्णय लिया जिसकी सहायता से पाठक इस प्रकारकी उलझनों से सरलता से बाहर आ सकें।

 

प्रथम पाठ- ग्रहों के आधार पर सप्ताहके दिनों के नाम, नवग्रह, दूादश, भाव,भावों का विभाजन, अभ्यास ,विभित्र प्रकार की जन्मकुण्डलियों के खाके अभ्यास, नक्षत्रों की तालिका ,अभ्यास और उलझनें।

 

द्वतीय पाठ- भावों का वितरण, भचक्र में सूर् और चन्द्र के भाग की राशियाँ, ग्रहों की मुदित एवं दीन अवस्थाएं, ग्रहों की उच्च व नीच राशियाँ आदि। ग्रहों कीपरस्पर मैत्री व शत्रुता के नियम, आपका लग्न, महावार सूर्य की स्थिति स्मृति तालिका, आपकी चन्द्र राशि, ग्रहों की दृष्टियाँ सामान्य व विशिष्ट,पी०ए०सी० स्मृति तालिका,विवराणत्मक अभ्यास ।

 

तृतीय पाठ- प्रत्येक लग्न के लिए केन्द्र, त्रिकोण आदि भाव प्रदर्शित करने हेतु तालिका। ग्रहोंकी आध्यात्मिक योग्ताएं ग्रह एवं अवतार, दैनिक जीवन में ग्रहों का प्रतिनिधत्व या कारकत्व भावों से सम्बध में उपयोगी जानकाी द्वतीयविस्तृत स्मृति तालिका डी०ए०आर० ई० एस०। डी० अर्थात् अरिष्ट आदि |

 

चतुर्थ पाठ-आर० अर्थात् राजयोग, ई० अर्थात् स्थान परिवर्तन, एस० अर्थात् विशेष लक्षण, संघटित जाँच सूचि,चन्द्र एवं आपकी मनोवृत्ति,चन्द्र ही क्यों,विभित्र राशि स्थित के फल।

एक विशेष संयोजन- ग्रहों तथा भावों के अर्थ (कारकत्व की विस8तृत सूची ।

 

लेखक परिचय

के. एन. राव

 

भारतीय लेखा तथा परीक्षण सेवा से महानिदेशक के तौर पर सेवानिवृत्तश्री के०एन० राव (कोट्टमराजू नारायण राव) प्रतिष्ठित पत्रकार तथा नेशनल हेराल्ड के संस्थापक-संपादक स्व० के० रामा राव के पुत्र हैं । पिता के कार्य क्षेत्र से अलग ज्योतिष में श्री राव के रुझान की प्रेरणा बनीं उनकी श्रद्धेय मां के० सरसवाणी देवी । मां के संरक्षण में राव बारह वर्ष की आयु से ही ज्योतिष सीखने लगे । पारंपरिक ज्योतिष में सिद्धहस्त श्रीमती सरसवाणी देवी की ' विवाह संतान ' और ' प्रश्न शास्त्र ' जैसे विषयों में गहरी पैठ थी ।

 

प्रशासनिक सेवा में आने से पूर्व कुछ समय तक श्री राव अंग्रेजी साहित्य के प्राध्यापक रहे । 1957 में अखिल भारतीय परीक्षा के जरिये प्रशासनिक सेवा में प्रवेश करने वाले श्री राव की आरंभिक रुचि खेलों में थी और युवावस्था में उन्होंने शतरंज और ब्रिज जैसे खेलों में राज्य स्तरीय पुरस्कार भी जीते थे । वह कई अन्य खेलों में भी सक्रिय रहे । यही वजह है कि उनके ज्योतिषीय लेखन में खेलों का बारम्बार उल्लेख मिलता है ।

 

प्रशासनिक सेवा काल में बतौर सह-निदेशक और निदेशक श्री राव ने तीन अंतर्राष्ट्रीय पाठयक्रमों का नियोजन निरूपण और संचालन किया । काम कै सिलसिले में संपर्क में आए विदेशियों से ज्योतिषीय आधार पर उनके सम्बन्ध निजी और प्रगाढ़ होते गए और इससे उनके विदेशी मित्रों की संख्या में भारी इजाफा हुआ ।

 

सरकारी सेवा काल के दौरान श्री राव ने हजारों जन्म कुंडलियां संकलित की । आज भी उनके पास पचास हजार से ज्यादा ऐसी कुंडलियों का संग्रह हैं जिससे हर जातक के जीवन की कम से कम दस प्रमुख घटनाएं दर्ज हैं । संभवतया यह दुनिया का सबसे बड़ा निजी शोध संग्रह है । जीवन लक्ष्य की तरह ज्योतिष साधना का तनाव उन्हें कई बार इससे दूर भी ले गया । मगर दिसम्बर 1981 में दिल्ली में आयोजित एक तीन-दिवसीय सेमिनार में भागीदारी ने उनके इस अलगाव को पाटने में काफी हद तक मदद की । सेमिनार में सरल व रोचक धाराप्रवाह व्याख्यान् के बाद उनके शोध प्रधान ज्योतिषीय लेखन की मांग निरंतर बढ़ती गई और तभी से श्री राव द्वारा अपने मौलिक शोध प्रबधो को पाठकों के साथ बांटने का सतत सिलसिला शुरू हुआ ।

 

ज्योतिष जैसे गूढ़ तथा परम्परावादी विषय में श्री राव की शैक्षिक तथा बैद्धिक पहल का सुखद परिणाम है कि आज भारत में हजारों और अमेरिका में दो सौ से भी ज्यादा शिष्य हैं । वह भारतीय विद्या भवन दिल्ली में ज्योतिष पाठयक्रम के सलाहकार हैं । उन्हीं की प्ररेणा से भवन की ज्योतिष संकाय के अन्य प्रशिक्षक भी अवैतनिक काम करते हैं ।

 

जीविका के तौर पर ज्योतिष की साधना में स्वार्थ और धनलोलुपता ने इसे पर्याप्त अपयश ही दिया है । इसलिए व्यवसायिक ज्योतिष से दूर रहने की श्री राव की आकांक्षा ने उन्हें हजारों हितैषी और मित्र दिए तो कुछ शत्रु भी । बेवजह उनके शत्रु बने लोग वे थे जो बरसों से आधे- अधूरे ज्ञान व लालच के अधीन लोगों को बेवकूफ बना छलने का काम करते आ रहे थे । मगर दूसरी ओर श्री राव के प्रयासों के चलते उनके आस-पास दो सौ से ज्यादा ऐसे काबिल ज्योतिषियों की टीम तैयार हुई जिनके लिए ज्योतिष आजीविका न होकर ऐसा पराविज्ञान था जिसमें मानव जीवन का अर्थ ओर उद्देश्य छुपा था । वेदांग के रूप में ज्योतिष ऐसी ही विधा होनी चाहिए।

 

कोई भी जिज्ञासु जानना चाहेगा कि किस बात ने श्री राव को जीवन का इतना गान उद्देश्य दिया । श्री राव की कुंडली में लग्नेश व दशमेश की लग्न में युति है जवकि दशम भाव में उच्चस्थ बृहस्पति है । उनके ज्योतिष गुरु योगी भास्करानन्द यह जानते थे । उन्होंने कहा था कि हिंदू ज्योतिष को प्रतिष्ठा पहचान और गरिमा प्रदान करने के लिए राव को अनेक बार विदेश जाना पड़ेगा । ( 1993 में श्री राव की प्रथम अमरिका यात्रा के प्रभाव पर एक अमेरिकी ने यहां तक लिख दिया - हिन्दू ज्योतिष- राव से पूर्व तथा राव के पश्चात् ।)1993 से 1995 के बीच श्री राव पांच बार अमेरिका गए । 1993 में वह अमेरिकन कउंसिल ऑफ हिन्दू एस्ट्रालॉजी की दूसरी कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि थे । उनसे 1994 में आयोजित तीसरी कॉन्फ्रेंस में भी उपस्थित रहने का अनुरोध किया गया क्योंकि आयोजक उनकी भीड़ जुटाने की क्षमता से वाकिफ हो चुके थे । काउंसिल की चौथी कॉनफ्रेंस में श्री राव के मना करने के बावजूद आयोजको ने उनके नाम को भुनाने की न्यप्ति कोशिश की जून 1998 से श्री राव पांच बार रूस (मास्को) गये जहां दुभाषये की मदद से इन्होनें ज्योतिष पढाई जो एक सफलतम कार्यक्रमों में से एक रहा ।

 

श्री राव के नवीनतम शोध प्रबंधों का संकलन उनकी दी गई पुस्तकों' जैमिनी चर दशा से भविष्य कथन '' तथा '' कारकांश और मंडूक दशा '' में दिया गया है। श्री राव के ज्योतिष गुरु ने बताया था कि ज्योतिष में पुस्तकों से ज्यादा ज्ञान परम्परा न् मिलेगा क्योंकि पुस्तकों का सिर्फ शाब्दिक अनुवाद हुआ है जिनमें व्यावहारिक करने की कोशिश की है । वेदांग के रूप में ज्योतिष पर विभिन्न योगियों के विचार श्री राव की पुस्तक ''योगीज डेस्टिनी एंड व्हील ऑफ टाइम '' में उद्धृत किए गए हैं । मंत्र गुरुस्वामी परमानंद सरस्वती और ज्योतिष गुरु योगी भास्करानंद ने श्री राव को आध्यात्मिक ज्योतिष के कुछ गंभीर रहस्य बताए थे जिनका प्राय : किसी ज्योतिष मथ में उल्लेख नहीं मिलता ।

 

श्री राव की इस पुस्तक में ऐसे कुछ गूढ़ तत्वों का निरूपण किया गयाहै । श्री राव की प्रथम ज्योतिष गुरु उनकी माता भी ऐसे अनेक पारम्परिक रहस्य । जानती थीं जिनमें से कुछ का खुलासा इसी किताब में है । अन्य कुछ बातें उनकी पुस्तकों '' अप्स एण्ड डाउन इन कैरियर '' तथा '' प्लेनेट्स एण्ड चिल्ड्रन '' में दी गई??मंत्र गुरु स्वामी परमानंद सरस्वती ने पहली बार श्री राव को ज्योतिष न छोड़ने काआग्रह किया था क्योंकि भविष्य में यही उनकी साधना का अहम हिस्सा बनने वाली । थी । बाद में एक महान योगी मूर्खानंदजी ने 1982 में भविष्यवाणी की कि राव एक महान ज्योतिषीय पुनरूत्थान के पुरोधा होंगे । यह बात कहां तक सच हुई इसके प्रमाण में श्री के०एन० राव के गहन शोध अध्ययन और महती लेखन को रखा जा सकता है ।

 

निवेदन

 

'' ब्रह्मलीन परमपूज्य गुरुदेव योगी भाष्करानन्द जी '' को मेरा कोटि-कोटि नमन जिनकी कृपा से वर्तमान शदी के '' ज्योतिष जगत की महान विभूति श्री के०एन० राव जी '' के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।

 

''लर्न हिन्दू एस्ट्रालौजी इजिली '' की एक प्रति जनवरी 1998 में गुरुदेव के आवास पर ही पढ़ी । ज्योतिष अध्ययन की अठारह वर्ष लम्बी यात्रा में पहली पुस्तकमेरेहाथ में थी जिसको भली- भांति पढ़ व समझकर कोई भी ज्योतिष जिज्ञासु एक ठोस ज्योतिषी बन सकता है ।यह कहना अतिसंयोक्तिपूर्ण न होगा कि हिन्दू ज्योतिष जगत की यह अनूठी कृत्ति भविष्य में अनेक ठोस व वैज्ञानिक ज्योतिषियों की जन्मदात्री होगी । मन में विचार उठा कि यदि इस अनूठी कृत्ति का हिन्दी में अनुवाद हो जाता हिन्दीभाषी जिज्ञासुओं की अनेक कठिनाइयाँ व भ्रम क्षणभर में दूर हो जाते तथाउनका ज्योतिष अधिगम का मार्ग प्रशस्त हो जाता ।

 

चूकि मैं अपनी इच्छा को निवेदन के रूप में पूज्य गुरुदेव के सम्मुख रखने मे साहस नहीं जुटा पाया । परन्तु, श्री शेषाद्रि सुन्दर राघवन जी से मेरा निवेदन पूज्य गुरुदेव के सम्मुख रखे जाते ही मुझे सहर्ष अनुमति प्रदान हुई, जिसके लिए मैंने राघवन जी का सदैव आभारी रहुँगा ।

 

अनुमति प्राप्त होने पर जितना हर्ष हुआ उतनी ही चिन्ता इस बात की कि-खन. विशेषतया अनुवाद के क्षेत्र में नितान्त अनुभवहीन होने के कारण यह कार्यलिए अत्यन्त दुष्कर था । परन्तु आप स्वयं मेरे प्रेरणा श्रोत थे । आपके ही आर्शीवादके बल सेआपकी लेखनी के अंश मात्र को भी छू पाया हूँ तो स्वयं को धन्य हिन्दी ज्योतिष जिज्ञासुओं को ठोस आधारशिला प्रदान करते हुए लेखक यह अनुपम कृत्ति मील का पत्थर सिद्ध होगी ।

 

आभार

 

मैं उन लोगों का आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मेरे आवास पर शिक्षण हेतु मेरे द्वारा ली गई कक्षाओं में भाग लिया मुख्यरूप से श्री राजेन्द्र सिंह? योगेश शाण्डिल्य, मेरे अनुज के० सुभाष एवं उनकी धर्मपत्नी विजयलक्ष्मी (जिन्होंने । इन गृह पाठों का तीन वर्षा में दो बार अध्ययन किया) तथा इन्हें अब ज्यौतिष ने । मौलिक तथ्यों पर अच्छी पकड़ प्राप्त है । मैं अपने संवाद में अपनी स्पष्टता की परीक्षा' हेतु इस तरह के प्रयोग करता रहता हूँ और जब उनके द्वारा स्वीकार किया गया कि उन्हें मेरे पढ़ाये पाठ स्पष्ट हो चुके हैं तब मैंने इस पुस्तक का विस्तार किया । मेरे अनुज के० विक्रम राव के बच्चे विनीता, सुदेव और विश्वदेव और मेरे अनुजतम् के गौतम और गौरव ने भी ज्योतिष का प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त किया है । इन्हौंने इन दो वर्षा (1995 -1996) के निरन्तर लेखन, जिसमें मैंने त्रैमासिक ज्योतिष पत्रिका के सम्पादन के अतिरिक्त आठ पुस्तकों का लेखन पूर्ण किया, मेरी कई प्रकार सं सहायता की ।

ज्योतिष में बढ़ते शोध और शोध पर व्यय की मात्रा इतनी अत्यधिक हो गयी है कि साधारण परिवार की मान्यताओं के साथ शोध कार्य को पूरा करना कठिन ले प्रतीत होता है । ऐसे वातावरण में 'सोसाईटी फॉर वेदिक रिसर्च एण्ड प्रैक्टिसिस ' एक ऐसी संस्था है जो हर तरह की भौतिक, मौलिक और मुख्यतय: आर्थिक सहायता 1 प्रदान करने के लिए तत्पर रहती है, भारत वर्ष में इस संस्था का वेदिक शास्त्रों कं' शोध में एक महत्वपूर्ण स्थान है ।

विषय-सूची

आभार

4

लेखक परिचय

7

प्रशंसा-पत्र..

10

पुस्तक विस्तार की योजना

13

इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य

15

भाग एक

प्रथम पाठ

19

आदर्श अभ्यास

23

भाग दो

द्वितीय पाठ

33

आपका लग्न

43

आपकी चन्द्र राशि

46

दृष्टि

49

भाग तीन

तृतीय पाठ फलित सिद्धान्तों के कुछ मूल तत्वों का अध्ययन

68

दैनिक जीवन में ग्रहों का कारकत्व

75

भावों मे मम्बद्ध आध्यात्मिक तथ्य

80

आध्यात्किम भाव से क्या प्रदर्शित होता है?

66

किस भाव से क्या सम्बन्ध में उपयोगी जानकारी

69

डी० (धन योग)

93

उदाहरण

95

ए० (अरिष्ट या अनिष्ट कारक प्रभाव)

102

भाग चार

आर० (राजयोग)

109

ई० (भावों के स्वामियों का स्थान परिवर्तन)

117

एस० (विशेष लक्षण

119

संघटित जाँच सूची

122

चन्द्र एवं आपकी मनोवृत्ति

124

चन्द्र ही क्यों

128

व्यापक बोध

130

आपका मनोविज्ञान एवं आपका चन्द्रमा

137

भाग पाँच

उत्तर कालामृत पर आधारित ग्रहों एवं राशियों का कारकत्व

146

अनुक्रमणिका

162

वाणी पब्लिकेशन्स की अन्य पुस्तकें

163

 

 

</body> </html>
Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories