लेखक के बारे में
महादेवी वर्मा
जन्म : 1907, फर्रूखाबाद (उ.प्र.)
शिक्षा : मिडिल में प्रान्त-भर में प्रथम, इंट्रेंस प्रथम श्रेणी में, फिर 1927 में इंटर, 1929 मे बी.ए., प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम. ए. 1932 में किया ।
गतिविधियाँ : प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य और 1960 में कुलपति । का सम्पादन । 'विश्ववाणी' के 'युद्ध अंक' का सम्पादन । 'साहित्यकार' का प्रकाशन व सम्पादन। नाट्य संस्थान 'रंगवाणी' की प्रयाग में स्थापना ।
पुरस्कार : 'नीरजा' पर सेकसरिया पुरस्कार, 'स्मृति की रेखाएँ' पर द्विवेदी पदक, मंगलाप्रसाद पारितोषिक, उत्तर प्रदेश सरकार का विशिष्ट पुरस्कार, उ.प्र. हिंदी संस्थान का 'भारत भारती' पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार ।
उपाधियाँ : भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण और फिर पद्मविभूषण अलंकरण। विक्रम, कुमाऊँ, दिल्ली, बनारस विश्वविद्यालयों से डी. लिट् की उपाधि। साहित्य अकादमी की सम्मानित सदस्या रहीं ।
कृति संदर्भ : यामा, दीपशिखा, पथ के साथी, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, नीरजा, मेरा परिवार, सान्स्पगीत, चिन्तन के क्षण, सन्धिनी, सप्तपर्णा, क्षणदा, हिमालय, श्रृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था तथा निबन्ध, संकल्पित (निबंध); सम्भाषण (भाषण); चिंतन के क्षण (रेडियो वार्ता); नीहार, रश्मि, प्रथम आयाम, अग्निरेखा, यात्रा (कविता-संग्रह) ।
निधन : 11 सितम्बर, 1987
अनुक्रम |
||
1 |
अपने विषय में |
9 |
2 |
प्रिय साध्य गगन |
17 |
3 |
प्रिय मेरे गीले नयन |
19 |
4 |
क्या न तुमने दीप बाला |
20 |
5 |
रागभीनी तू सजनि |
22 |
6 |
अश्रु मेरे माँगने जब |
24 |
7 |
क्यों वह प्रिय आता पार नहीं |
26 |
8 |
जाने किस जीवन की सुधि ले |
28 |
9 |
शून्य मंदिर में बनूँगी |
29 |
10 |
प्रिय-पथ के यह शूल |
30 |
11 |
मेरा सजल मुख देख लेते |
31 |
12 |
रे पपीहे पी कहाँ |
33 |
13 |
विरह की घड़ियाँ हुईं |
34 |
14 |
शलभ मैं शापमय वर हूँ |
35 |
15 |
पंकज कली |
37 |
16 |
हे मेरे चिर सुन्दर अपने |
38 |
17 |
मैं सजग चिर साधना ले |
39 |
18 |
मैं किसी की मूक छाया |
40 |
19 |
यह सुख दुखमय राग |
42 |
20 |
सो रहा है विश्व |
43 |
21 |
री कुंज की शेफालिके |
44 |
22 |
मैं नीरभरी दुख की बदली |
45 |
23 |
आज मेरे नयन के |
46 |
24 |
प्राण रमा पतझार सजनि |
48 |
25 |
झिलमिलाती रात मेरी |
49 |
26 |
दीप तेरा दामिनी |
50 |
27 |
फिर विकल हैं प्राण मेरे |
51 |
28 |
मेरी है पहेली बात |
52 |
29 |
चिर सजग आँखें उनींदी |
53 |
30 |
कीर का प्रिय आज |
55 |
31 |
प्रिय चिरन्तन है सजनि |
57 |
32 |
ओं अरुण वसना |
59 |
33 |
देव अब वरदान कैसा |
60 |
34 |
तन्द्रिल निशीथ में ले आये |
61 |
35 |
यह सन्ध्या फूली सजीली |
63 |
36 |
जाग-जाग सुकेशिनी री |
65 |
37 |
तब क्षण-क्षण मधु-प्याले होंगे |
67 |
38 |
आज सुनहली वेला |
68 |
39 |
नव घन आज बनो पलकों में |
69 |
40 |
क्या जलने की रीति शलभ |
70 |
41 |
सपनों की रज आँज गया |
71 |
42 |
क्यों मुझे प्रिय हों न बंधन |
72 |
43 |
हे चिर महान् |
74 |
44 |
सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी |
76 |
45 |
कोकिल गा न ऐसा राग |
78 |
46 |
तिमिर में वे पदचिह्न मिले |
80 |
लेखक के बारे में
महादेवी वर्मा
जन्म : 1907, फर्रूखाबाद (उ.प्र.)
शिक्षा : मिडिल में प्रान्त-भर में प्रथम, इंट्रेंस प्रथम श्रेणी में, फिर 1927 में इंटर, 1929 मे बी.ए., प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम. ए. 1932 में किया ।
गतिविधियाँ : प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य और 1960 में कुलपति । का सम्पादन । 'विश्ववाणी' के 'युद्ध अंक' का सम्पादन । 'साहित्यकार' का प्रकाशन व सम्पादन। नाट्य संस्थान 'रंगवाणी' की प्रयाग में स्थापना ।
पुरस्कार : 'नीरजा' पर सेकसरिया पुरस्कार, 'स्मृति की रेखाएँ' पर द्विवेदी पदक, मंगलाप्रसाद पारितोषिक, उत्तर प्रदेश सरकार का विशिष्ट पुरस्कार, उ.प्र. हिंदी संस्थान का 'भारत भारती' पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार ।
उपाधियाँ : भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण और फिर पद्मविभूषण अलंकरण। विक्रम, कुमाऊँ, दिल्ली, बनारस विश्वविद्यालयों से डी. लिट् की उपाधि। साहित्य अकादमी की सम्मानित सदस्या रहीं ।
कृति संदर्भ : यामा, दीपशिखा, पथ के साथी, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, नीरजा, मेरा परिवार, सान्स्पगीत, चिन्तन के क्षण, सन्धिनी, सप्तपर्णा, क्षणदा, हिमालय, श्रृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था तथा निबन्ध, संकल्पित (निबंध); सम्भाषण (भाषण); चिंतन के क्षण (रेडियो वार्ता); नीहार, रश्मि, प्रथम आयाम, अग्निरेखा, यात्रा (कविता-संग्रह) ।
निधन : 11 सितम्बर, 1987
अनुक्रम |
||
1 |
अपने विषय में |
9 |
2 |
प्रिय साध्य गगन |
17 |
3 |
प्रिय मेरे गीले नयन |
19 |
4 |
क्या न तुमने दीप बाला |
20 |
5 |
रागभीनी तू सजनि |
22 |
6 |
अश्रु मेरे माँगने जब |
24 |
7 |
क्यों वह प्रिय आता पार नहीं |
26 |
8 |
जाने किस जीवन की सुधि ले |
28 |
9 |
शून्य मंदिर में बनूँगी |
29 |
10 |
प्रिय-पथ के यह शूल |
30 |
11 |
मेरा सजल मुख देख लेते |
31 |
12 |
रे पपीहे पी कहाँ |
33 |
13 |
विरह की घड़ियाँ हुईं |
34 |
14 |
शलभ मैं शापमय वर हूँ |
35 |
15 |
पंकज कली |
37 |
16 |
हे मेरे चिर सुन्दर अपने |
38 |
17 |
मैं सजग चिर साधना ले |
39 |
18 |
मैं किसी की मूक छाया |
40 |
19 |
यह सुख दुखमय राग |
42 |
20 |
सो रहा है विश्व |
43 |
21 |
री कुंज की शेफालिके |
44 |
22 |
मैं नीरभरी दुख की बदली |
45 |
23 |
आज मेरे नयन के |
46 |
24 |
प्राण रमा पतझार सजनि |
48 |
25 |
झिलमिलाती रात मेरी |
49 |
26 |
दीप तेरा दामिनी |
50 |
27 |
फिर विकल हैं प्राण मेरे |
51 |
28 |
मेरी है पहेली बात |
52 |
29 |
चिर सजग आँखें उनींदी |
53 |
30 |
कीर का प्रिय आज |
55 |
31 |
प्रिय चिरन्तन है सजनि |
57 |
32 |
ओं अरुण वसना |
59 |
33 |
देव अब वरदान कैसा |
60 |
34 |
तन्द्रिल निशीथ में ले आये |
61 |
35 |
यह सन्ध्या फूली सजीली |
63 |
36 |
जाग-जाग सुकेशिनी री |
65 |
37 |
तब क्षण-क्षण मधु-प्याले होंगे |
67 |
38 |
आज सुनहली वेला |
68 |
39 |
नव घन आज बनो पलकों में |
69 |
40 |
क्या जलने की रीति शलभ |
70 |
41 |
सपनों की रज आँज गया |
71 |
42 |
क्यों मुझे प्रिय हों न बंधन |
72 |
43 |
हे चिर महान् |
74 |
44 |
सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी |
76 |
45 |
कोकिल गा न ऐसा राग |
78 |
46 |
तिमिर में वे पदचिह्न मिले |
80 |