पुस्तक परिचय
प्रेमचंद (1880-1936) भारत के शीर्षस्थ एवं कालजयी साहित्यकारों में से एक हैं । संपूर्ण विश्व साहित्य में उनका नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है । वे बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न साहित्यकार थे । उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, लेख, संपादकीय, संस्मरण, समीक्षा आदि गद्य विधाओं में लिखा, लेकिन उन्हें एक कहानीकार और उपन्यास लेखक के रूप में ही ज्यादा पहचाना गया । उन्हें अपने जीवनकाल में ही 'उपन्यास-सम्राट' की पदवी मिल गई थी ।
प्रेमचंद ने 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें तथा हज़ारों लेख, संपादकीय, भाषण, भूमिका आदि की लेखकीय धरोहर छोड़ी है । यह स्थिति हिंदी एवं उर्दू दोनों भाषाओं से ही दिखाई पड़ती है, चूँकि वे इन दोनों ही भाषाओं में समान रूप से सृजनशील थे ।
उनका उपन्यास गोदान और कहानी 'कफ़न' उनकी सर्वाधिक चर्चित और कालजयी रचनाएँ हैं । प्रेमचंद की रचनाओं में भारतीय किसान के करुण जीवन के यथार्थ को मर्मभेदी रूप में प्रस्तुत किया गया है । उनकी रचनाओं की सामग्री उनके जीवन के निजी अनुभवों और निकट परिवेश के सूक्ष्म निरीक्षण से समेटी गई है ।
लेखक परिचय
अनुक्रम
1
जीवन
7
2
साहित्य
11
3
साहित्य-चिन्तन
20
4
सृजन-प्रक्रिया
28
5
राष्ट्र स्वराज्य का कथात्मक महासमर
34
6
समाज जागरण, मुक्ति एवं कायाकल्प
46
कृषि संस्कृति रक्षा की अनिवार्यता
56
8
विचार गांधीवाद या समाजवाद
66
9
साम्प्रदायिकता एकता का संकल्प
74
10
मनोविज्ञान प्रयोग की दिशाएँ
85
भाषा वैभव और वैशिष्ट्य
92
12
प्रासंगिकता विचार का औचित्य
103
13
उपसंहार
108
परिशिष्ट
121
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