Description
पुस्तक परिचय
नई कहानी को समृद्ध बनाने में जिन कथा -लेखिकाओं ने महत्वपूर्ण कार्य किया है , मन्नू भंडारी का नाम उनमे सर्वोपरि है | स्वभावत: इसमें उनका नारी -मनरूपायित हुआ है | आधुनिक नारी की अस्मिता , उसकी अपनी पहचान और सामाजिक जड़ताओं से लड़ने के उसके साहस की उन्होंने बराबर रचनात्मक हिमायत की है | यह एक चुनौती -भरा कार्य था , क्योंकि उनके अपने शब्दों में , 'कवयित्री की अपेक्षा नारी -कथाकार के साथ यह कठिनाई और भी बढ़ जाती है की उसे बिना लक्ष्डीक भाषा का सहारा लिए अधिक खुलकर सामने अाना पड़ता है | वह घिसे-पिटे कथानकों और भाव-धरातलों को ही लेती रहे, तब तक तो ठीक है , लेकिन जहाँ जीवन और जगत के व्यापक क्षेत्रो को छूने का साहस उसने किया दी प्रत्यक्ष और परोक्ष वर्जनाएं उसकी ओर उंगली उठाती सामने आ खड़ी होती है |' मन्नू भंडारी की ये कहानियाँ कहानी -कला के अपने तकाजों ओर चुनौतियों से बेबाक भाषा में जूझती हुई सामाजिक सरोकार की भी कहानियाँ है और आज के अर्धसामन्ती -अर्धपूंजीवादी समाज में नारी के उभरते व्यक्तित्व सम्बन्धो के बदलते स्वरूप और उनके संघर्षो को रेखांकित करती है | फिर भी मन्नू भंडारी सिर्फ 'नारी लेखिका ' ही नहीं है | उन्होंने विविध अनुभव -खंडो को जागरूकता के साथ कहानियो में उठाया है |
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