दो शब्द
पंतजी की जीवनी बच्चों के लिए लिखना मेरे लिए एक तरह की चुनोती रही सरल, सहज शेली में जीवन-शात लिखना आसान नहीं यों पंतजी पर अब तक अनेक अच्छी-अच्छी पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, जो सराही भी कम नहीं गयी हें कितु मुझे लगा कि बच्चों की आवश्यकताए कुछ ओर होती हैं इसलिए मैं चाहता था कि प्रस्तुत पुस्तक अधिक से अधिक बोधगम्य हो प्रामाणिक हो बच्चों के लिए रोचक भी । ताकि वे केवल जीवनी के रूप में ही नहीं, इसे एक प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में भी ले सकें इसलिए मैं प्राय उन सारी जगहों पर स्वयं गया, जो पंतजी के जीवन से जुडी थीं
इस कार्य में अनेक लोगों का सहयोग मिला महीयसी महादेवी वर्मा, श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित, श्री उमाशंकर दीक्षित, श्रीकमलापति त्रिपाठी आदि जिन महानुभावों से भी मिला, उन्होंने मुक्त हृदय से अपना सद्भाव दिया । श्री कृष्णचद्र पत तथा श्रीमती इला पत को भी यदा-कदा कष्ट देता रहा यह कार्य न हो पाता यदि श्री जी. एल बसल, सचिव, 'पं गोविद बल्लभ पत स्मारक समिति' की शुभकामनाएं साथ न रहतीं । अत इन सब के प्रति आभार । बच्चों को, जिनके लिए यह पुस्तक लिखी गयी है, यदि पसंद आयी तो अपना प्रयास सफल समझूंगा
दो शब्द
पंतजी की जीवनी बच्चों के लिए लिखना मेरे लिए एक तरह की चुनोती रही सरल, सहज शेली में जीवन-शात लिखना आसान नहीं यों पंतजी पर अब तक अनेक अच्छी-अच्छी पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, जो सराही भी कम नहीं गयी हें कितु मुझे लगा कि बच्चों की आवश्यकताए कुछ ओर होती हैं इसलिए मैं चाहता था कि प्रस्तुत पुस्तक अधिक से अधिक बोधगम्य हो प्रामाणिक हो बच्चों के लिए रोचक भी । ताकि वे केवल जीवनी के रूप में ही नहीं, इसे एक प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में भी ले सकें इसलिए मैं प्राय उन सारी जगहों पर स्वयं गया, जो पंतजी के जीवन से जुडी थीं
इस कार्य में अनेक लोगों का सहयोग मिला महीयसी महादेवी वर्मा, श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित, श्री उमाशंकर दीक्षित, श्रीकमलापति त्रिपाठी आदि जिन महानुभावों से भी मिला, उन्होंने मुक्त हृदय से अपना सद्भाव दिया । श्री कृष्णचद्र पत तथा श्रीमती इला पत को भी यदा-कदा कष्ट देता रहा यह कार्य न हो पाता यदि श्री जी. एल बसल, सचिव, 'पं गोविद बल्लभ पत स्मारक समिति' की शुभकामनाएं साथ न रहतीं । अत इन सब के प्रति आभार । बच्चों को, जिनके लिए यह पुस्तक लिखी गयी है, यदि पसंद आयी तो अपना प्रयास सफल समझूंगा