लेखक परिचय
प्रभा भार्गव का जन्म मथुरा में हुआ और शिक्षा दीक्षा मुंबई में ! जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स और निर्मल निकेतन, मुंबई से आपने कला की शिक्षा प्राप्त की! प्रभा जी पूर्णरूपेण बागवानी के प्रति समर्पित है ! पेड़-पौधे, झरने, पहाड़ियां , वाटिकाएँ आरम्भ से ही उन्हें आकृष्टकरते रहे बागवानी प्रेम के रूप में प्रस्फुन्टित हुआ हुआ ! राजकीय उड्डाण द्वारा आयोजित प्रतियोगितों में कई वर्षो तक सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित होती रहीं! सम्प्रति उसके सयोंजक मंडल की मानद सदस्य है! गुलदाउदी एवंकोलियस के अतिरिक्त पुष्प विन्यास, अल्पना, बोन्साई और हरे-भरे पोधो की प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिताएँ आयोजित करती रहती है! बागवानी के प्रति लोग आकृष्ट हो, पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता आये तथा घर घर हरियाली पहुंच सके, इसके प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संपन्न करती रहती है!
प्रभा जी इलाहबाद की विभिन्न साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं से भी सकृत्य रूप से जुडी है! आपकी पहेली पुस्तक 'पुष्प वाटिका' बहुत चर्चित रही! बागवानी कला उसी क्रम में एक और सराहनीय प्रयास रहा!
शहर के व्यस्त इलाके में उनके निवास पर लगभग चार एकड़ में स्थित उनकी 'जानकी वाटिका' उध्दान का केंद्र बानी रहती है! आप अपनी कल्पनाशीलता तथा कुशलता से उसे सदा सवर्ती, सजाती रहती है! पेड़-पौधों पुष्पों एवं पुष्प -लताओं की विभिन्न दुर्लभ जातियां-प्रजातियां यहाँ देखि जा सकती है! बागवानी की प्रयोगात्मक उपलब्धियां प्राप्त करने का यहाँ उन्हें भरपूर अवसर मिलता है!
इनके पति भी श्री नरेश भार्गव जी ने प्रभा जी की बागवानी कला को सदैव प्रोत्साहित करके सहयोग दिया
लेखक परिचय
प्रभा भार्गव का जन्म मथुरा में हुआ और शिक्षा दीक्षा मुंबई में ! जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स और निर्मल निकेतन, मुंबई से आपने कला की शिक्षा प्राप्त की! प्रभा जी पूर्णरूपेण बागवानी के प्रति समर्पित है ! पेड़-पौधे, झरने, पहाड़ियां , वाटिकाएँ आरम्भ से ही उन्हें आकृष्टकरते रहे बागवानी प्रेम के रूप में प्रस्फुन्टित हुआ हुआ ! राजकीय उड्डाण द्वारा आयोजित प्रतियोगितों में कई वर्षो तक सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित होती रहीं! सम्प्रति उसके सयोंजक मंडल की मानद सदस्य है! गुलदाउदी एवंकोलियस के अतिरिक्त पुष्प विन्यास, अल्पना, बोन्साई और हरे-भरे पोधो की प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिताएँ आयोजित करती रहती है! बागवानी के प्रति लोग आकृष्ट हो, पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता आये तथा घर घर हरियाली पहुंच सके, इसके प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संपन्न करती रहती है!
प्रभा जी इलाहबाद की विभिन्न साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं से भी सकृत्य रूप से जुडी है! आपकी पहेली पुस्तक 'पुष्प वाटिका' बहुत चर्चित रही! बागवानी कला उसी क्रम में एक और सराहनीय प्रयास रहा!
शहर के व्यस्त इलाके में उनके निवास पर लगभग चार एकड़ में स्थित उनकी 'जानकी वाटिका' उध्दान का केंद्र बानी रहती है! आप अपनी कल्पनाशीलता तथा कुशलता से उसे सदा सवर्ती, सजाती रहती है! पेड़-पौधों पुष्पों एवं पुष्प -लताओं की विभिन्न दुर्लभ जातियां-प्रजातियां यहाँ देखि जा सकती है! बागवानी की प्रयोगात्मक उपलब्धियां प्राप्त करने का यहाँ उन्हें भरपूर अवसर मिलता है!
इनके पति भी श्री नरेश भार्गव जी ने प्रभा जी की बागवानी कला को सदैव प्रोत्साहित करके सहयोग दिया