लेखक की प्रस्तावना
भारत को स्वतंत्र होने के बाद, जातीय एकता को आवश्यकता हमारे सामन खडी है । खासकर भाषाप्रयुक्त राष्ट्रों के अवतरण के पश्चात इम बात की चर्चा दिनौ दिन बढ रही है । कहीं कहीं प्रान्तीय भाषा को प्रसारित करने के यत्न में जातीय एकता की आफत की डिंडोरा भी पिटवा जा रहा है।
अतःअपनी मातृभाषा के साथ अन्य भाषाओं का भी थोडा-बहुत परिचय प्राप्त करना ही इस कठिनाई की दर करने का एकमात्र उपाय माना गया है।
इस परम लक्ष्य को दृष्टिकोण में रखकर मद्रास के 'बालाजी पब्लिकेषन्स' नाम के प्रकाशका ने, केद्रिन्य सरकार से मानी हुई पंद्रह भाषाओं को आपसी माध्यम से पुस्तक प्रकाशन करने का संकल्प किया, जिसके फल-स्वरुप अब तक बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुइ हैं।
इस पुस्तक में क्रमश: अक्षर, वाक्य, व्याकरण और अभ्यास नाम के पांच विभाग हैं। इनको ध्यान से पढ़ने पर तेलुगु भाषा का काफ़ी परिचय हो जायगा।
विषय-सूची
1
लिखने की रीति (चित्र)
8
पहला-भाग (अक्षर)
2
अक्षरों के बारे में
10
3
स्वर
11
4
व्यंजन
12
5
सस्वर-यजन
13
6
ठीक अक्षर पहचानिये
14
7
स्वर के चिह्न
15
बारह खडी
17
9
संयुक्त-व्यंजन
28
दूसरा-भाग (शब्द)
दो अक्षरवाले शब्द
30
तीन अक्षरवाले शब्द
32
सर्वनाम
33
क्रियायें
शरीर के अंग
36
स्थान
38
16
समय
40
दिनों के नाम
41
18
ऋतु
42
19
'तेलुगु महीने
43
20
दिशाऐं
45
21
घर की चीजें
47
22
परिवार
49
23
मन के भाव
52
24
खाने की चीजें
54
25
तरकारियाँ
57
26
फल
59
27
जानवर
60
पक्षी
63
29
शिक्षा
65
डाक
67
31
दस्तकारी
69
पेशेवर
71
संख्याएँ
73
34
नाप
77
35
रंग
78
लोह
79
तीसरा-भाग (वाक्य)
37
दो शब्दवाले वाक्य
80
तीन शब्दवाले वाक्य
84
39
प्रश्नार्थक-शब्द
89
प्रश्नार्थक-वाक्य
91
प्ररणार्थक-शब्द
93
घर के बारे में (बातचीत)
95
सब्जी मंडी में
97
44
मेवे की दूकान में
99
एक विद्यार्थी के साथ बातचीत
101
46
कुछ अच्छे आचरण
105
चौथा-भाग (व्याकरण)
कारक (विभक्तियाँ)
107
48
सर्वनाम- और प्रयोग
116
सर्वनाम और विभक्ति
119
50
किया-विशेषण
122
51
लिंग
123
वचन
125
53
विशेषण
127
किया और काल
129
55
निषेधवाचक
132
56
'तमरु' शब्द का प्रयोग
133
कुछ वाक्य
134
58
'वाडु' शब्द का प्रयोग
135
कर्तरि-प्रयोग, कर्मणि-प्रयोग
136
प्रयोग कें उदाहरण
137
61
तरह तरह के वाक्य
138
पाँचवाँ-भाग (अभ्यास)
62
लेख
140
कथायें
142
64
पत्रलेखन
147
उत्तर और दक्षिण
149
66
आंध्रप्रदेश
154
अकारादि शब्द
156
68
राष्ट्रिय गीत
160
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