पुस्तक के विषय में
'योग विज्ञान के अनुसार मानव के सम्पूर्ण शारीरिक और मनोवज्ञानिक ढाँचे की व्यवस्थित रूप से पूरी मरम्मत की जा सकती है। जैसे-जैसे लोग अपने निजी व्यक्तित्व का रूपान्तरण करने, अपने मनोदैहिक प्रसाधन को अनंत बनाने और व्यक्तिगत सीमाओं से ऊपर उठने क लिए योग को अपनायेंगे, वैसे-वैसे मनुष्य जाति स्थायी और क्रमबद्ध रूप से सुधरेगी।
योग प्रदीप के प्रथम भाग में स्वामी सत्यानन्द सरस्वती की सन्1979 की अखिल यूरोपीय यात्रा, सन्1980 की ऑस्ट्रेलिया यात्रा तथा बिहार योग विद्यालय, मुगेर में सन्1979-80 में संचालित क्रिया योग एवं शिक्षक प्रशिक्षण सत्रों के दौरान दिये गये सत्संगों का संकलन किया गया है। उन्होंने योग, तंत्र, स्वास्थ्य, साधना, समाधि, कर्म, पुनर्जन्म, धर्म, संन्यास, आश्रम जीवन तथा गुरु-शिष्य सम्बन्ध जैसे विषयों पर साधकों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का अत्यंत स्पष्ट एवं सारगर्भित शैली में समाधान किया है।
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा ग्राम में1923 में हुआ ।1943 में उन्हें ऋषिकेश में अपने गुरु स्वामी शिवानन्द के दर्शन हुए।1947 में गुरु ने उन्हें परमहंस संन्याय में दीक्षित किया ।1956 में उन्होंने परिव्राजक संन्यासी के रूप में भ्रमण करने के लिए शिवानन्द आश्रम छोड़ दिया। तत्पश्चात्1956 में ही उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय योग मित्र मण्डल एवं1963 मे बिहार योग विद्यालय की स्थापना की। अगले20 वर्षों तक वे योग के अग्रणी प्रवक्ता के रूप में विश्व भ्रमण करते रहे। अस्सी से अधिक ग्रन्यों के प्रणेता स्वामीजी ने ग्राम्य-विकास की भावना से1984 में दातव्य संस्था 'शिवानन्द मठ' की एवं योग पर वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से योग शोध संस्थान की स्थापना की ।1988 में अपने मिशन से अवकाश ले, क्षेत्र संन्यास अपनाकर सार्वभौम दृष्टि से परमहंस संन्यासी का जीवन अपना लिया है।
विषय सूची |
||
1 |
आधुनिक योग |
1 |
2 |
आध्यात्मिक जीवन |
16 |
3 |
स्वास्थ्य और उपचार |
29 |
4 |
शारीरिक स्वास्थ्य |
46 |
5 |
मानसिक स्वास्थ्य |
65 |
6 |
भावनात्मक स्वास्थ्य |
79 |
7 |
साधना |
88 |
8 |
ध्यान |
108 |
9 |
ध्यान के अभ्यास |
122 |
10 |
तंत्र |
133 |
11 |
कुण्डलिनी |
142 |
12 |
क्रियायोग |
153 |
13 |
तंत्र और वैवाहिक जीवन |
168 |
14 |
वाममार्गी तंत्र |
179 |
15 |
मन |
188 |
16 |
आध्यात्मिक अनुभव |
200 |
17 |
मन्त्र |
209 |
18 |
योग निद्रा |
219 |
19 |
निद्रा और स्वप्न |
231 |
20 |
बच्चे |
242 |
21 |
विकास-प्रक्रिया |
251 |
22 |
आसक्ति और इच्छा |
268 |
23 |
कर्म |
276 |
24 |
पुनर्जन्म |
285 |
25 |
विश्व-प्रपंच |
293 |
26 |
धर्म |
305 |
27 |
आश्रम-जीवन |
319 |
28 |
संन्यास |
329 |
29 |
गुरु और शिष्य |
342 |
30 |
संप्रेषण |
352 |
31 |
सन्त |
361 |
32 |
समाधि |
369 |
पुस्तक के विषय में
'योग विज्ञान के अनुसार मानव के सम्पूर्ण शारीरिक और मनोवज्ञानिक ढाँचे की व्यवस्थित रूप से पूरी मरम्मत की जा सकती है। जैसे-जैसे लोग अपने निजी व्यक्तित्व का रूपान्तरण करने, अपने मनोदैहिक प्रसाधन को अनंत बनाने और व्यक्तिगत सीमाओं से ऊपर उठने क लिए योग को अपनायेंगे, वैसे-वैसे मनुष्य जाति स्थायी और क्रमबद्ध रूप से सुधरेगी।
योग प्रदीप के प्रथम भाग में स्वामी सत्यानन्द सरस्वती की सन्1979 की अखिल यूरोपीय यात्रा, सन्1980 की ऑस्ट्रेलिया यात्रा तथा बिहार योग विद्यालय, मुगेर में सन्1979-80 में संचालित क्रिया योग एवं शिक्षक प्रशिक्षण सत्रों के दौरान दिये गये सत्संगों का संकलन किया गया है। उन्होंने योग, तंत्र, स्वास्थ्य, साधना, समाधि, कर्म, पुनर्जन्म, धर्म, संन्यास, आश्रम जीवन तथा गुरु-शिष्य सम्बन्ध जैसे विषयों पर साधकों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का अत्यंत स्पष्ट एवं सारगर्भित शैली में समाधान किया है।
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा ग्राम में1923 में हुआ ।1943 में उन्हें ऋषिकेश में अपने गुरु स्वामी शिवानन्द के दर्शन हुए।1947 में गुरु ने उन्हें परमहंस संन्याय में दीक्षित किया ।1956 में उन्होंने परिव्राजक संन्यासी के रूप में भ्रमण करने के लिए शिवानन्द आश्रम छोड़ दिया। तत्पश्चात्1956 में ही उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय योग मित्र मण्डल एवं1963 मे बिहार योग विद्यालय की स्थापना की। अगले20 वर्षों तक वे योग के अग्रणी प्रवक्ता के रूप में विश्व भ्रमण करते रहे। अस्सी से अधिक ग्रन्यों के प्रणेता स्वामीजी ने ग्राम्य-विकास की भावना से1984 में दातव्य संस्था 'शिवानन्द मठ' की एवं योग पर वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से योग शोध संस्थान की स्थापना की ।1988 में अपने मिशन से अवकाश ले, क्षेत्र संन्यास अपनाकर सार्वभौम दृष्टि से परमहंस संन्यासी का जीवन अपना लिया है।
विषय सूची |
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1 |
आधुनिक योग |
1 |
2 |
आध्यात्मिक जीवन |
16 |
3 |
स्वास्थ्य और उपचार |
29 |
4 |
शारीरिक स्वास्थ्य |
46 |
5 |
मानसिक स्वास्थ्य |
65 |
6 |
भावनात्मक स्वास्थ्य |
79 |
7 |
साधना |
88 |
8 |
ध्यान |
108 |
9 |
ध्यान के अभ्यास |
122 |
10 |
तंत्र |
133 |
11 |
कुण्डलिनी |
142 |
12 |
क्रियायोग |
153 |
13 |
तंत्र और वैवाहिक जीवन |
168 |
14 |
वाममार्गी तंत्र |
179 |
15 |
मन |
188 |
16 |
आध्यात्मिक अनुभव |
200 |
17 |
मन्त्र |
209 |
18 |
योग निद्रा |
219 |
19 |
निद्रा और स्वप्न |
231 |
20 |
बच्चे |
242 |
21 |
विकास-प्रक्रिया |
251 |
22 |
आसक्ति और इच्छा |
268 |
23 |
कर्म |
276 |
24 |
पुनर्जन्म |
285 |
25 |
विश्व-प्रपंच |
293 |
26 |
धर्म |
305 |
27 |
आश्रम-जीवन |
319 |
28 |
संन्यास |
329 |
29 |
गुरु और शिष्य |
342 |
30 |
संप्रेषण |
352 |
31 |
सन्त |
361 |
32 |
समाधि |
369 |